
दोस्तों पिछले कई दिनों से हमारे देश में आए तूफान ने जो तबाही मचाई उसे शब्दों के माध्यम से बताने की कोशिश हमारी इस पोस्ट इंडिया में आए तूफान पर दर्दभरी कविता में की गई है |
कभी ना आए लौट के जालिम वो शाम काली
जिसने ना जाने कितनों की जिंदगियाँ उजाड़ डाली
घर से जो निकले थे हँसकर
अपनों से हमेशा की तरह बाय – बाय कहकर
लौटे न कभी वो फिर से घर पर
ले गयी आँधी उन्हे निगल कर कहीं पर
बच्चे ने उस माँ को है खोया
जो हांथ में पकड़े थी सब्जी का झोला
पूछी थी सारी फरमाइश माँ ने बच्चे की
पर राह में ही उस पर गिर गई थी बिजली
एक युवक जो एम्ब्युलेन्स चलाता था
मरीजों को वक्त से अस्पताल पहुंचाता था
उसे पता नहीं था एक दिन ऐसा भी आएगा
एम्ब्युलेन्स ही उसकी चिता बन जाएगा
कुछ लोग जो गए थे शादी में
बहुत खुश थे वो अपने सफर में
पर सफर बन गया अंतिम यात्रा
एक पेड़ ही अचानक गाड़ी पर आ गिरा
और ना जाने कितनी मौत की कहानी
इस घिनोने तूफान ने हैं रच डाली
किस कर्म का भगवान ने बदला लिया है
जो आँख का तारा इस तरह से बिछड़ा है
बस कभी ना आए लौट के जालिम वो शाम काली
जिसने ना जाने कितनों की जिंदगियाँ उजाड़ डाली
दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट इंडिया में आए तूफान पर दर्दभरी कविता अच्छी लगे तो, आप भी सतर्क रहे और यदि कोई ऐसी ही मुसीबत में दिखे तो तुरंत ही उसकी सब ही प्रकार से मदद करें |
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