इश्क़ पर कविता | इश्क़ की दास्तां
दोस्तों ये जो इश्क़ होता है इसकी बात कुछ अजीब होती है जो चाहता है की इससे दूर रहे वो उतना ही इसके पास खिचा आ जाता है |इसमें पड़ कर अच्छे-अच्छे अपनी सुध-बुध भूल जाते हैं |तो आइये अपनी इस पोस्ट”इश्क़ पर कविता | इश्क़ की दास्तां”से कुछ इश्क़ के बारे में जानने की कोशिश करते हैं |
इश्क़ पर कविता | इश्क़ की दास्तां
कैसी अजीब ये
इश्क़ की दास्तां
कभी हम परेशान
कभी होते हैरान
कभी हम उन्हें
कहें आफताब तो
कभी कहें एक
प्यारा सा ख्याब
कभी बात- बात
पर हम झगड़ें
तो कभी बोले
ये जन्मों-जन्मों का
है हमारा साथ
कभी बस उनको
निहारना चाहें हम
घंटो ही तलक
तो कभी बंद
नहीं होते ये
कमबख्त बेशर्म लब
खुल जाते हैं
तारीफ में उनकी
जो एक बार
कभी भूल जाते
रास्ता अपने ही
घर का हम
फिर भी चाहते
रहे इश्क़ की
ये हसीन खुमारी
कदम- कदम पर
हमेशा अपने साथ
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सुविचार
सुन्दर अभिव्यक्ति अर्चना जी।
इश्क़ अँधा होता है क्योंकि सब कुछ देखकर भी उसमें कुछ नहीं दिखता।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आभार यादवजी |