
दोस्तों आज हम एक पोस्ट लाये हैं जिसका शीर्षक है एक छोटी सी दर्दभरी शायरी जिसमे ज़िंदगानी के बदलते हुए रूप को कुछ थोड़े से शब्दों में ही बताया गया है |
इश्क़ पर कविता
वो तुम से छुप- छुप के मिलने का था जो अलग ही मजा
इशारों- इशारों में बात करने की थी जो हम दोनों की अदा
वो अंधीयारी रातेें भी सुनहरी लगती जब -जब चेहरा तुम्हारा देख लिया
वो पल भर की जुदाई भी तड़पाती जैसे टूटा- टूटा दिल में कोई हिस्सा
लेकिन अब वो समा कहाँ पास हो तुम लेकिन लगते रवां रवां
ज़िंदगानी की है यह कैसी नई -नई मुश्किलें शुरू हो गयी
के अब तो नहीं लगता मुमकिन फिर से वो पहले जैसा
मुस्कुराना
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