
दोस्तों आज हम एक दर्दभरी कविता तुम्हारा खत आपके बीच लाये हैं जिसे सुन ज़रूर ही आप की ऑंखें छलक उठेंगी |
एक दर्दभरी कविता “तुम्हारा खत “
कल जब पुराना बक्सा खोला
तो हांथ लगी कुछ निशानियाँ
जिसमें कुछ खट्टी और मीठी थी
मेरे अधूरे प्यार की कहानियाँ
जब बात लबों पर ना आती
इज़हार किया था ख़त के जरिये
कभी तुमने कभी मैंने
तकरार किया था ख़त के जरिये
कभी वादा किया था मिलने का
तुमसे पुरानी डाकघर के पीछे
और तुम भी आए थे मिलने
सूट बूट टाई घड़ी पहने
कभी फेंका तुमने ख़त को
चुपचाप टीचर से बचके
कभी भेजा उसको शन्नो के हांथ
नोट्स लेने का बहाना करके
जब तुम्हारी माँ का निधन
अचानक से हो गया
तुम पर कम मुझ पर ज्यादा
एक बोझ था मन पर पड़ गया
फिर आ ही गया तुम्हारा आखिरी ख़त
जिसका अंदाज़ा मुझे पहले से हो गया
तुम ने लिखा मेरा व्याह हुआ है तय
पिताजी ने यह फैसला कर लिया
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