
मित्रों हमारी आज की यह पोस्ट औरतों पर एक हास्यकविता “जब चार औरतें मिल जाएँ ” है ,यह एक ऐसी कविता है जिसमें एक आदमी अपने मोहल्ले में रहने वाली औरतों के बारे में एक दिन का किस्सा सुना रहा है जो की बेहद- हास्य पूर्ण है
जब चार औरतें मिल जाएँ
समय पंख लगा के उड़ जाये
तब कुछ इसकी और कुछ उसकी
अपने घर ,बच्चे अब किसको याद आएं
मिलते ही शुरू बनियाईन की बातें
उनके बच्चों के मार्क्स कम आते
मेरा चिंटू बड़ा जीनियस
पढाई संग सीख रहा कर्राटे
इतने में ठकुराईन भी बोली
मेरी बेटी भी शार्प माइंडवाली
उसने तो सब ओलम्पियाडस में
इस साल सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले
वैसे सब एक -एक नंबर की गप्पी
इसलिए तो मिलातीं हैं एक सुर और एक तालें
जब चार औरतें मिल जाएँ
समय पंख लगा के उड़ जाये
अब थी रीमा की बारी आई
करने लगी सासु की ,बड़ी बुराई
तब शीना भी चिल्ला कर के बोली
सुन बहन मेरी, मेरी सासु ने भी
सेम यही तो ,हाल कर डाले
फिर तो कम्मो थी हँस कर के बोली
अच्छा है कि मीना और मैं
नहीं हैं सास वाले
दिखाती हैं ऐसे, ये सास की बड़ी हों सतायीं
मगर जब भी इनकी गली से गुजरते ,आती हैं तेज इनकी ही आवाज़ें
जब चार औरतें मिल जाएँ
समय पंख लगा के उड़ जाये
इनके पास तो सदा
एक न एक हॉट टॉपिक होता
जैसे ,पता नहीं कब होगा
कोने वाली की बेटी का ब्याह ?
या, फिर जब देखो चर्चा करती कि
पता नहीं फलां सीरियल में कल होगा क्या ?
वैसे जब एक लेती महंगी जेवर
बाकि की नींद उड़ जाती है
मजा तो करवाचोथ पे आता जब इनके कम्पिटीशन के चक्कर
में पतियों की पर्स हल्की हो जाती है
जब चार औरतें मिल जाएँ
समय पंख लगा के उड़ जाये
हुआ एक घंटा चलते हंसी ठिठोली
तब भी ना इनकी बातें ख़तम हुई
मार लिए पार्क के दसियों चक्कर
लेकिन ये तो ना तनिक थकीं
इतने में रोता चिंटू आया
दिख रहा था थोड़ा घबराया
मम्मी ने भौं को चढ़ा कर कहा
ऐ ,क्यों है रोता, घर में क्या कोई आफत आयी ?
बोला मम्मी कड़ाही में से धुंए संग जब बहुत बदबू आई
मैंने जाकर गैस ऑफ करी ,पर जल गई सारी आपने गोभी जो बनाई
तो क्यों ,हम बिल्कुल सही कहे ना
जब चार औरतें मिल जाएँ
समय पंख लगा के उड़ जाये
तब कुछ इसकी और कुछ उसकी
अपने घर ,बच्चे अब किसको याद आएं
अपने घर ,बच्चे अब किसको याद आएं
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