बाल दिवस पर कवितायें | poems on children’s day

बाल दिवस पर कवितायें | poems on children's day

बाल दिवस पर कवितायें | poems on children’s day

दोस्तों बाल दिवस जल्द ही आने वाला है |इसे हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है, इस दिन नेहरुजयंती भी होती है |जवाहरलाल नेहरू जी को बच्चे बेहद पसंद थे इसीलिए ही उनकी जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है |बच्चे उन्हे “चाचा  नेहरू” कहकर पुकारते थे |पूरे देश में विभिन्न स्कूलों और संस्थाओं में इस दिन को बहुत अच्छे तरीके से मनाया जाता है|बच्चों के लिए कई प्रतियोगितायेँ  तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं |गरीब बच्चों को उपहार आदि भी वितरित किए जाते हैं |वास्तव में जैसा कि नेहरुजी कहते थे कि बच्चे ही देश के भावी निर्माता होते हैं ,हमें बच्चों का बहुत अच्छे तरीके से पालन -पोषण करना चाहिये |

न सिर्फ परिवार के बच्चों का बल्कि समाज के हर कमजोर ,गरीब बच्चे का  भी खयाल रखना चाहिए , यदि कहीं भी कोई  बच्चा शारीरिक या मानसिक प्रतारणा का शिकार हो रहा हो तो हमें उसे बचना चाहिये |दोस्तों बच्चे उस कच्ची मिट्टी कि तरह होते हैं जिसे जिस रूप में ढाल दो वो वैसे ही बन जाते हैं ,इसलिए हमें उन पर विशिष्ट ध्यान देना चाहिए|

आज हम अपनी पोस्ट बाल दिवस पर कवितायें | poems on children’s day के जरिये बच्चों को कुछ कवितायें समर्पित करते हैं।

 

बाल दिवस पर कवितायें | poems on children’s day

1.

आज तो हैं हम छोटे बच्चे

कल बनेंगे देश की शान

अपने-अपने दुर्लभ कामों से

ऊंचा करेंगे देश का नाम

खेलकूद कर और पढ लिख कर

बन जाएंगे एक योग्य इंसान

क्या अंबर और क्या धरती पर

बढ़ाएँगे भारत के झंडे का मान

2.

हम हैं छोटे-छोटे बच्चे

दांत हमारे अभी हैं कच्चे

लेकिन मन से बिलकुल सच्चे

हम हैं छोटे-छोटे बच्चे

कभी-कभी शैतानी करते

और कभी सबको हैरत कर देते

लेकिन शक्ल से बहुत ही अच्छे

हम हैं छोटे-छोटे बच्चे

कभी तो हम जीभर के पढ़ते

और कभी नखरे भी करते

यदि कार्टून आता तो सोते-सोते से उठ पड़ते

हम हैं छोटे-छोटे बच्चे

3.

मैं रोज हूँ देखता

एक नया सा सपना

कोई लगता सच सा

और कोई नामुमकिन होना

कभी तो मैं सपने में

बन जाता एक सहजादा

और सभी लोगों को

उंगली पर बड़ा नचाता

कभी तो मैं सपने में

एक डॉक्टर बन जाता

और सभी गरीब लोगों का

मुफ्त इलाज कराता

कभी तो मैं सपने में

घोड़े पर उड़ता जाता

पेड़ों पर लगी टाफियों को

भर-भर के बैग में लाता

कभी तो मैं सपने में

एक वीर जवान बन जाता

सरहद पर जाकर के अपने

देश के शत्रुओं को मार गिराता

सपनों की दुनिया भी

होती है बहुत निराली

जब अच्छा करने लगूँ

आ जाती सूरज की लाली

आँख झट से हैं खुलती

और उड़ जाती है निंदिया रानी

 

मित्रों आप सब को भी बाल दिवस की ढेर सारी शुभकामनायें |आप सब यूं ही हमारी पोस्ट पढ़ते रहें और हमारे ब्लॉग को आगे बढ़ाएँ|अपने विचार हमें जरूर भेजें|

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