
दोस्तों आज की हमारी पोस्ट स्वतंत्रता दिवस पर प्रेरक गीत में आप पढ़ेंगे दो बिलकुल नए गीत जो आपने पहले कभी नहीं पढ़े होंगे |
ऐ वतन ऐ वतन
ऐ वतन ऐ वतन
हम तेरा यूँ ही श्रृंगार करेंगे
चाहे कितने ही बलिदान देने पड़े
न पीछे हटेंगे
तेरी आन तेरी शान
इस तिरंगे के आगे
सिर झुकाते आये थे सिर झुकाते रहेंगे
ऐ वतन
कोई गैर मुल्क जो इस जमीं पे
अपनी आँख रखेगा
ये वादा हमारा रहा कि
वो बच भी ना सकेगा
धूल में मिला देंगे हम
उसके ही अस्तित्व को
जो अकड़ में आया था अब वो पाँव पड़ेगा
ऐ वतन
अब रात और दिन
करना विकास है
ये तो छोटे बड़े
सब ही का प्रयास है
सबसे आगे तुझे
फिर हम पहुंचाएंगे
ये तो देखा है हर हिंदुस्तानी ने सपना
ऐ वतन ऐ वतन
ऐ वतन ऐ वतन
ऐ वतन ऐ वतन
ऐ वतन ऐ वतन
इस माँ को छोड़ के ,कहीं मैं जा ही न पाऊँ
मेरा रब है मेरा देश
मेरा सब है मेरा देश
कोई दूजी चाह नहीं
हर चाहत है मेरी देश
मेरे देश से मैंने
बड़ा प्रेम किया है
धरती माँ की गोदी में
हर लम्हा जिया है
क्या तुम को बताऊँ
प्यार कितना मिला है
क्या तुम को बताऊँ
प्यार कितना मिला है
इस माँ को छोड़ के
कहीं मैं जा ही न पाऊँ
इस माँ को छोड़ के
कहीं मैं जा ही न पाऊँ
सुन्दर झरना जो
ये बहता जाये
प्यारी प्यारी सी धुन
कोयल भी सुनाये
खट्टी -मीठी आमियों का
स्वाद बड़ा ललचाये
खट्टी -मीठी आमियों का
स्वाद बड़ा ललचाये
इस स्वाद को छोड़ के
कहीं मैं जा ही न पाऊँ
इस स्वाद को छोड़ के
कहीं मैं जा ही न पाऊँ
मेरे गांव की
वो ठंडी हवाएं
जब बारिश हो
मजा नहाने में आये
जो पेड़ों के नीचे
बाबा -चाचा ठहाके लगाएं
इन सब के लाड़ को
मैं तो कभी छोड़ ना पाऊँ
इन सब के लाड़ को
मैं तो कभी छोड़ ना पाऊँ
क्योंकि
मेरे देश से मैंने
बड़ा प्रेम किया है
मेरे देश से मैंने
बड़ा प्रेम किया है
मेरे देश से मैंने
बड़ा प्रेम किया है
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