
friends welcome to our blog and today’s post is hindi poem on corona virus disease .
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जीवन में कभी भी हमने ,देखा ना ऐसा हाहाकार
एक वाइरस ने कर दिया ,पूरी दुनिया को लाचार
कितनों के घर उजड़ गए,ना जाने कितने हुए कंगाल
रूप बदल-बदल आता है ,समझ ना आए क्या मायाजाल
कुछ में छुप कर कुछ में दिखकर,करता साँसों पर ये प्रहार
जो थोड़े नाजुक हैं होते ,बन जाता उनका यह तो काल
ये तो बड़ा ही निष्ठुर है ,ना पूछता ये तो घर का हाल
कितने पीछे रोने वाले ,नहीं करता बिल्कुल भी खयाल
इसने तो कसम ये खा ली है ,ना हारेगा अब ये विकराल
पर हम मानव भी जिद्दी हैं ,इसको तो देकर रहेंगे मात
रात दिन हमने एक किया ,आगे भी जारी है प्रयास
इसका उपचार निकलेंगे ,चाहे बार बार करनी हो शूरुवात |
2.
कैसी है आई विडम्बना
कोरोना की वजह से अपना बिछड़ा
कोई बच्चा तड़पे है माँ के लिए
कहीं पत्नी बिलखे है प्रिय के लिए
कैसी है आई विडम्बना
रोजी रोटी ये निगल गया
फसल का भी बुरा हाल हुआ
कैसे परिवार का पेट भरे
घड़ी घड़ी सोचता है मुखिया
कैसी है आई विडम्बना
अभी तक है कोई इलाज़ नहीं
लाखों की संख्या पार हुई
कोरोना से मरे या भूखे रहकर
अब जन जन के मन का सवाल बना
कैसी है आई विडम्बना
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hindi poem on corona virus disease
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